जिले के समनापुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम खाम्ही में करोड़ों की लागत से निर्माणाधीन बांध ने किसानों की करीब 376 एकड़ फसल बर्बाद कर दी है। आलम यह है कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे किसान अब मुआवजे के लिए डिंडौरी से लेकर भोपाल तक का चक्कर काट रहे हैं।
4 करोड़ 56 लाख की लागत से जल संसाधन विभाग द्वारा बनाए जा रहे बांध में शुरू से ही लापरवाही ठेकेदार द्वारा किए जाने का आरोप ग्रामीण लगाते रहे हैं। बांध का निर्माण अब भी अधूरा है, लेकिन मनमानीपूर्वक किए गए जलभराव से जहां एक ओर निर्माणाधीन बांध की गुणवत्ता पर सवाल उठ गए, वहीं किसानों की भी फसल पानी के साथ कापू से पूरी तरह से बर्बाद हो गई। खरमेर नदी में बन रहे बांध ने बनने से पहले ही किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। किसानों की फसल के साथ जमीन भी बर्बाद हो चुकी।
भूमि में कंकड़-पत्थर
किसानों की फसलें तबाह होने व मामला तूल पकड़ने के बाद आनन-फानन में बांध का पानी तो निकाला गया, लेकिन तब तक सैकड़ों किसानों की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर चुका है। फसलें पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। भूमि में कंकड़ पत्थर के साथ मिट्टी का जमावड़ा भी हो चुका है। किसानों के बने बनाए खेत बर्बाद हो चुके हैं। ग्रामीणों की माने तो बांध से जल निकासी की व्यवस्था करने में विभाग व ठेकेदार के जिम्मेदारों द्वारा बरती गई लापरवाही से जल भराव ऐसे हुआ कि 149 किसानों की लगभग 376 एकड़ की वह फसल बर्बाद हो गई जो डूब क्षेत्र में आती ही नहीं थी। विभागीय अधिकारी भी मामले को लेकर एक दूसरे पर ही दोषारोपण करते नजर आ रहे हैं। बारिश शुरू होते ही शहपुरा क्षेत्र चंदवाही व घुंडीसरई में भी करोड़ों के दो बांध बहने से सैकड़ों किसानों की फसल तबाह हुई है। उसके सर्वे में भी लापरवाही करने का आरोप कृषकों ने लगाए हैं।
रोजी-रोटी का संकट
फसलें तबाह होने के बाद अब किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट बढ़ गया है। खेती पर आश्रित किसानों की लहलहाती फसल लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। खानापूर्ति के लिए सर्वे तो किया जा रहा है, उसमें भी लापरवाही हो रही है। फसलें तबाह होने के बाद जो मुआवजा निर्धारित किया जा रहा है, उससे क्षतिपूर्ति भी पूरा होना संभव नहीं लग रहा है। किसान परसराम, दीप सिंह, रिखीराम, मंगल सिंह, शंभूलाल ने बताया कि दर्जनों किसानों ने कर्ज लेकर फसलों की बोवनी की थी।
मुख्यमंत्री तक शिकायत
विभाग व ठेकेदार की लापरवाही से तबाह हुई फसल के बाद खाम्ही, मोहगांव, उमरिया, छपतरा, केवलारी, बम्हनी के किसान पूरा मुआवजा न मिलता देख अपनी पीड़ा लेकर मुख्यमंत्री तक से शिकायत करने पहुंच चुके हैं। कृषकों का आरोप है कि विभाग द्वारा जल भराव होने की कोई सूचना उन्हे नहीं दी गई और न ही उनकी भूमि का भूअर्जन किया गया है। बताया गया कि ग्रामीणों को अंधेरे में रखकर बांध का निर्माण किया जा रहा है। जल भराव होने से सोयाबीन, धान, उड़द के साथ सब्जियों की फसल भी बर्बाद हो गई है। विभाग इस बांध के बन जाने के बाद दो गांव के 790 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि को सिंचित करने का दावा कर रहा है।
इनका कहना है
मैं जांच करने स्वयं गई थी। किसानों की फसलें तो तबाह हुई है। 70-80 किसानों की फसलें पूरी तरह से प्रभावित हुई हैं। प्रभावित फसलों का सर्वे किया जा रहा है। प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। बांध के निर्माण से जितना भू-भाग डूबना चाहिए था, उससे कहीं अधिक भू-भाग डूब गया था। इससे फसलें प्रभावित हुई हैं। लापरवाही किसकी है इसकी भी जांच की जाएगी। अब जो भू-भाग डूब क्षेत्र में और आ रहा है उसका भी सर्वे कर मुआवजा वितरण के निर्देश विभाग को दिए गए हैं।
सुलेखा ठाकुर एसडीएम, डिंडौरी
जानकारी नहीं
मैंने कुछ दिन पहले ही समनापुर क्षेत्र का प्रभार संभाला है। बांध के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। बांध का निर्माण जबलपुर के ठेकेदार नितिन बरसैया द्वारा किया जा रहा है। जो फसल प्रभावित हुई है उसका सर्वे कार्य किया जा रहा है। लापरवाही किसकी है मैं इसमें कुछ नहीं कह सकता।
जेएल बघेल एसडीओ, जल संसाधन विभाग समनापुर
बांध का निर्माण विगत लगभग दो-तीन वर्षो से चल रहा है। बांध की लागत 4 करोड़ 56 लाख है। लगभग 80 प्रतिशत काम हो चुका है। जबलपुर के ठेकेदार द्वारा इसका निर्माण कराया गया है। बांध निर्माण के समय जो सर्वे हुआ था उसमें ही लापरवाही की गई थी। उसी का खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है।
आरके अहिरवार उपयंत्री, जल संसाधन विभाग समनापुर
4 करोड़ 56 लाख की लागत से जल संसाधन विभाग द्वारा बनाए जा रहे बांध में शुरू से ही लापरवाही ठेकेदार द्वारा किए जाने का आरोप ग्रामीण लगाते रहे हैं। बांध का निर्माण अब भी अधूरा है, लेकिन मनमानीपूर्वक किए गए जलभराव से जहां एक ओर निर्माणाधीन बांध की गुणवत्ता पर सवाल उठ गए, वहीं किसानों की भी फसल पानी के साथ कापू से पूरी तरह से बर्बाद हो गई। खरमेर नदी में बन रहे बांध ने बनने से पहले ही किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। किसानों की फसल के साथ जमीन भी बर्बाद हो चुकी।
भूमि में कंकड़-पत्थर
किसानों की फसलें तबाह होने व मामला तूल पकड़ने के बाद आनन-फानन में बांध का पानी तो निकाला गया, लेकिन तब तक सैकड़ों किसानों की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर चुका है। फसलें पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। भूमि में कंकड़ पत्थर के साथ मिट्टी का जमावड़ा भी हो चुका है। किसानों के बने बनाए खेत बर्बाद हो चुके हैं। ग्रामीणों की माने तो बांध से जल निकासी की व्यवस्था करने में विभाग व ठेकेदार के जिम्मेदारों द्वारा बरती गई लापरवाही से जल भराव ऐसे हुआ कि 149 किसानों की लगभग 376 एकड़ की वह फसल बर्बाद हो गई जो डूब क्षेत्र में आती ही नहीं थी। विभागीय अधिकारी भी मामले को लेकर एक दूसरे पर ही दोषारोपण करते नजर आ रहे हैं। बारिश शुरू होते ही शहपुरा क्षेत्र चंदवाही व घुंडीसरई में भी करोड़ों के दो बांध बहने से सैकड़ों किसानों की फसल तबाह हुई है। उसके सर्वे में भी लापरवाही करने का आरोप कृषकों ने लगाए हैं।
रोजी-रोटी का संकट
फसलें तबाह होने के बाद अब किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट बढ़ गया है। खेती पर आश्रित किसानों की लहलहाती फसल लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। खानापूर्ति के लिए सर्वे तो किया जा रहा है, उसमें भी लापरवाही हो रही है। फसलें तबाह होने के बाद जो मुआवजा निर्धारित किया जा रहा है, उससे क्षतिपूर्ति भी पूरा होना संभव नहीं लग रहा है। किसान परसराम, दीप सिंह, रिखीराम, मंगल सिंह, शंभूलाल ने बताया कि दर्जनों किसानों ने कर्ज लेकर फसलों की बोवनी की थी।
मुख्यमंत्री तक शिकायत
विभाग व ठेकेदार की लापरवाही से तबाह हुई फसल के बाद खाम्ही, मोहगांव, उमरिया, छपतरा, केवलारी, बम्हनी के किसान पूरा मुआवजा न मिलता देख अपनी पीड़ा लेकर मुख्यमंत्री तक से शिकायत करने पहुंच चुके हैं। कृषकों का आरोप है कि विभाग द्वारा जल भराव होने की कोई सूचना उन्हे नहीं दी गई और न ही उनकी भूमि का भूअर्जन किया गया है। बताया गया कि ग्रामीणों को अंधेरे में रखकर बांध का निर्माण किया जा रहा है। जल भराव होने से सोयाबीन, धान, उड़द के साथ सब्जियों की फसल भी बर्बाद हो गई है। विभाग इस बांध के बन जाने के बाद दो गांव के 790 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि को सिंचित करने का दावा कर रहा है।
इनका कहना है
मैं जांच करने स्वयं गई थी। किसानों की फसलें तो तबाह हुई है। 70-80 किसानों की फसलें पूरी तरह से प्रभावित हुई हैं। प्रभावित फसलों का सर्वे किया जा रहा है। प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। बांध के निर्माण से जितना भू-भाग डूबना चाहिए था, उससे कहीं अधिक भू-भाग डूब गया था। इससे फसलें प्रभावित हुई हैं। लापरवाही किसकी है इसकी भी जांच की जाएगी। अब जो भू-भाग डूब क्षेत्र में और आ रहा है उसका भी सर्वे कर मुआवजा वितरण के निर्देश विभाग को दिए गए हैं।
सुलेखा ठाकुर एसडीएम, डिंडौरी
जानकारी नहीं
मैंने कुछ दिन पहले ही समनापुर क्षेत्र का प्रभार संभाला है। बांध के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। बांध का निर्माण जबलपुर के ठेकेदार नितिन बरसैया द्वारा किया जा रहा है। जो फसल प्रभावित हुई है उसका सर्वे कार्य किया जा रहा है। लापरवाही किसकी है मैं इसमें कुछ नहीं कह सकता।
जेएल बघेल एसडीओ, जल संसाधन विभाग समनापुर
बांध का निर्माण विगत लगभग दो-तीन वर्षो से चल रहा है। बांध की लागत 4 करोड़ 56 लाख है। लगभग 80 प्रतिशत काम हो चुका है। जबलपुर के ठेकेदार द्वारा इसका निर्माण कराया गया है। बांध निर्माण के समय जो सर्वे हुआ था उसमें ही लापरवाही की गई थी। उसी का खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है।
आरके अहिरवार उपयंत्री, जल संसाधन विभाग समनापुर
Source:MP Hindi News & Chhattisgarh News