Saturday, 30 August 2014

Dindori district was destroyed at the 376acre crop farm

जिले के समनापुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम खाम्ही में करोड़ों की लागत से निर्माणाधीन बांध ने किसानों की करीब 376 एकड़ फसल बर्बाद कर दी है। आलम यह है कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे किसान अब मुआवजे के लिए डिंडौरी से लेकर भोपाल तक का चक्कर काट रहे हैं।

4 करोड़ 56 लाख की लागत से जल संसाधन विभाग द्वारा बनाए जा रहे बांध में शुरू से ही लापरवाही ठेकेदार द्वारा किए जाने का आरोप ग्रामीण लगाते रहे हैं। बांध का निर्माण अब भी अधूरा है, लेकिन मनमानीपूर्वक किए गए जलभराव से जहां एक ओर निर्माणाधीन बांध की गुणवत्ता पर सवाल उठ गए, वहीं किसानों की भी फसल पानी के साथ कापू से पूरी तरह से बर्बाद हो गई। खरमेर नदी में बन रहे बांध ने बनने से पहले ही किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। किसानों की फसल के साथ जमीन भी बर्बाद हो चुकी।

भूमि में कंकड़-पत्थर

किसानों की फसलें तबाह होने व मामला तूल पकड़ने के बाद आनन-फानन में बांध का पानी तो निकाला गया, लेकिन तब तक सैकड़ों किसानों की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर चुका है। फसलें पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। भूमि में कंकड़ पत्थर के साथ मिट्टी का जमावड़ा भी हो चुका है। किसानों के बने बनाए खेत बर्बाद हो चुके हैं। ग्रामीणों की माने तो बांध से जल निकासी की व्यवस्था करने में विभाग व ठेकेदार के जिम्मेदारों द्वारा बरती गई लापरवाही से जल भराव ऐसे हुआ कि 149 किसानों की लगभग 376 एकड़ की वह फसल बर्बाद हो गई जो डूब क्षेत्र में आती ही नहीं थी। विभागीय अधिकारी भी मामले को लेकर एक दूसरे पर ही दोषारोपण करते नजर आ रहे हैं। बारिश शुरू होते ही शहपुरा क्षेत्र चंदवाही व घुंडीसरई में भी करोड़ों के दो बांध बहने से सैकड़ों किसानों की फसल तबाह हुई है। उसके सर्वे में भी लापरवाही करने का आरोप कृषकों ने लगाए हैं।

रोजी-रोटी का संकट

फसलें तबाह होने के बाद अब किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट बढ़ गया है। खेती पर आश्रित किसानों की लहलहाती फसल लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। खानापूर्ति के लिए सर्वे तो किया जा रहा है, उसमें भी लापरवाही हो रही है। फसलें तबाह होने के बाद जो मुआवजा निर्धारित किया जा रहा है, उससे क्षतिपूर्ति भी पूरा होना संभव नहीं लग रहा है। किसान परसराम, दीप सिंह, रिखीराम, मंगल सिंह, शंभूलाल ने बताया कि दर्जनों किसानों ने कर्ज लेकर फसलों की बोवनी की थी।

मुख्यमंत्री तक शिकायत

विभाग व ठेकेदार की लापरवाही से तबाह हुई फसल के बाद खाम्ही, मोहगांव, उमरिया, छपतरा, केवलारी, बम्हनी के किसान पूरा मुआवजा न मिलता देख अपनी पीड़ा लेकर मुख्यमंत्री तक से शिकायत करने पहुंच चुके हैं। कृषकों का आरोप है कि विभाग द्वारा जल भराव होने की कोई सूचना उन्हे नहीं दी गई और न ही उनकी भूमि का भूअर्जन किया गया है। बताया गया कि ग्रामीणों को अंधेरे में रखकर बांध का निर्माण किया जा रहा है। जल भराव होने से सोयाबीन, धान, उड़द के साथ सब्जियों की फसल भी बर्बाद हो गई है। विभाग इस बांध के बन जाने के बाद दो गांव के 790 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि को सिंचित करने का दावा कर रहा है।

इनका कहना है

मैं जांच करने स्वयं गई थी। किसानों की फसलें तो तबाह हुई है। 70-80 किसानों की फसलें पूरी तरह से प्रभावित हुई हैं। प्रभावित फसलों का सर्वे किया जा रहा है। प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। बांध के निर्माण से जितना भू-भाग डूबना चाहिए था, उससे कहीं अधिक भू-भाग डूब गया था। इससे फसलें प्रभावित हुई हैं। लापरवाही किसकी है इसकी भी जांच की जाएगी। अब जो भू-भाग डूब क्षेत्र में और आ रहा है उसका भी सर्वे कर मुआवजा वितरण के निर्देश विभाग को दिए गए हैं।

सुलेखा ठाकुर एसडीएम, डिंडौरी

जानकारी नहीं

मैंने कुछ दिन पहले ही समनापुर क्षेत्र का प्रभार संभाला है। बांध के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। बांध का निर्माण जबलपुर के ठेकेदार नितिन बरसैया द्वारा किया जा रहा है। जो फसल प्रभावित हुई है उसका सर्वे कार्य किया जा रहा है। लापरवाही किसकी है मैं इसमें कुछ नहीं कह सकता।

जेएल बघेल एसडीओ, जल संसाधन विभाग समनापुर

बांध का निर्माण विगत लगभग दो-तीन वर्षो से चल रहा है। बांध की लागत 4 करोड़ 56 लाख है। लगभग 80 प्रतिशत काम हो चुका है। जबलपुर के ठेकेदार द्वारा इसका निर्माण कराया गया है। बांध निर्माण के समय जो सर्वे हुआ था उसमें ही लापरवाही की गई थी। उसी का खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है।

आरके अहिरवार उपयंत्री, जल संसाधन विभाग समनापुर

NGT asked why are most instate cng rates

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्रदेश में दूसरे राज्यों की अपेक्षा सीएनजी के दाम सर्वाधिक क्यों हैं। इसके साथ ही यह भी पूछा है कि प्रदेश के ही अलग अलग शहरों और एक ही शहर के अलग-अलग वितरण केंद्रों पर सीएनजी गैस के दामों में अंतर क्यों हैं।

सीएनजी वितरण पर राज्य सरकार की ओर से कितना टैक्स लिया जा रहा है। इन सभी सवालों के जवाब के लिए एनजीटी ने प्रदेश के परिवहन सचिव प्रमोद अग्रवाल को 16 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से एनजीटी के सामने उपस्थित होने का आदेश दिया है।

एनजीटी ने जून माह में इस संबंध में परिवहन विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन परिवहन विभाग अब तक गैस के दामों में अंतर का कारण नहीं बता पाया है। जस्टिस दलीप सिंह और एक्सपर्ट पीएस राव की पीठ ने सेंटर फॉर एन्वायर्नमेंट प्रोटेक्शन रिसर्च एंड डेवलपमेंट (सीएनपीआरडी) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।

कहां कितने हैं सीएनजी के दाम

प्रदेश में

इंदौर - 52 रुपए

ग्वालियर - 65 रुपए

उज्जैन - 53 रुपए

अन्य राज्यों में

दिल्ली - 38.15 रुपए

आगरा -50.53 रुपए

अहमदाबाद - 46.75 रुपए

मुंबई - 38.95 रुपए

पुणे - 47 रुपए

(दाम प्रति किलोग्राम में)

प्रदेश में कब लागू होगा बीएस-4 पेट्रोल?

एनजीटी ने प्रदेश के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर इंदौर और ग्वालियर को लेकर चिंता जाहिर की है। एनजीटी ने राज्य शासन से पूछा है कि इंदौर समेत प्रदेश के अन्य प्रदूषित शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहनों का संचालन बीएस-4 पेट्रोल से करने की नीति को कब लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि इस एन्वायर्नमेंट फ्रेंडली भारत स्टेज-4 नाम के पेट्रोल और डीजल को वर्ष 2010 में दिल्ली में लांच किया गया था। भारी ट्रैफिक एवं वायु प्रदूषण से ग्रस्त देश के अधिकांश शहरों में इस बीएस-4 पेट्रोल के इस्तेमाल की नीति को लागू किया जा चुका है। लेकिन मध्यप्रदेश में अब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।

Father says soul of my daughter want justice

साठ दिन पहले चार युवकों की दरिंदगी का शिकार हुई डिंडौरी जिले की आदिवासी युवती के मामले में पुलिस अभी तक पूरी घटना का खुलासा नहीं कर पाई है। पुलिस की जांच का दायरा रेलवे स्टेशन तक सिमट कर रह गया है। युवती स्टेशन से उरैया कैसे पहुंची? उसके साथ ऐसा क्या हुआ कि वह नग्न अवस्था में आत्महत्या के लिए मजबूर हो गई? इन सवालों के जवाब न तो पुलिस के पास हैं और न ही पुलिस को इससे जुड़ा कोई सुराग मिला है। जबकि युवती के पिता को उम्मीद है कि कभी न कभी घटना का खुसाला होगा और आरोपियों को इसकी सजा मिलेगा। तभी उनकी बेटी की रुह को शांति मिलेगी।

होनी चाहिए सीबीआई जांच

युवती के पिता ने फोन पर बात करते हुए बताया कि वह इस उम्मीद में जी रहे हैं कि उनकी बेटी के साथ दरिंदगी करने वालों को सजा जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की रुह इंसाफ मांग रही है। पुलिस की जांच किसी नतीजे पर पहुंचती नहीं दिखती इसलिए इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि अगर केस की सीबीआई जांच कराई जाए तो आरोपी जल्दी गिरफ्त में होंगे।

चल रही है जांच

चार आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद आगे की गुत्थी सुलझाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया हैं। लेकिन स्टेशन से युवती उरैया कैसे पहुंची, कौन ले गया, वहां क्या हुआ? इसमें पुलिस को कुछ ज्यादा सफलता नहीं मिली है। हालाकि अभी मामले की जांच चल रही है। मेरा बुधवार को ही प्रमोशन के बाद स्थानांतरण हो गया है। आगे की जांच खुरई एसडीओपी के निर्देशन में होगी।

जितेंद्र सिंह पवार, तत्कालीन एसडीओपी, बीना

क्या है मामला.....

गौरतलब है कि 30 जून को वन ग्राम तरच जिला डिंडौरी निवासी एक आदिवासी युवती ने नग्न अवस्था में हींगटी रोड स्थित बिजली के टावर से कूंद कर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की जांच कर पुलिस ने चार युवकों को गिरफ्तार किया था। इनमें इंदौर निवासी विशाल उर्फ भीम सूर्यवंशी पिता तुलसीराम 20 वर्ष, सुशील पिता दशरथ घोषी 20 वर्ष तथा शेखर पिता श्यामलाल मीणा 23 साल ने स्वीकार किया था कि उन्होंने युवती के साथ इंदौर में दो दिन दुष्कर्म किया।

इसके अलावा विदिशा निवासी प्रवेश रैकवार ने भी माना था कि उसने युवती के साथ 29 जून की रात रेलवे स्टेशन के पास युवती से दुष्कर्म कर युवती को उसके हाल पर छोड़ दिया था। इसके बात युवती रात दो बजे के बाद स्टेशन से करीब तीन किलो मीटर दूर उरैया क्षेत्र में कैसे पहुंची? उसे वहां कौन ले गया? उसके साथ क्या हुआ?

युवती ने नग्न अवस्था में आत्महत्या क्यों की? इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। पुलिस लगभग दो माह से इसका पता लगाने में लगी हुई है, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस को युवती का मोबाइल भी भोपाल स्टेशन पर मिला है। जिसकी कॉल डिटेल से भी पुलिस कोई ऐसा सुबूत नहीं मिला है, जिससे पुलिस पूरे घटना क्रम का खुसाला कर सके।

Jewelery raids of five million cash seized

टोल नाके, रोड निर्माण एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबद्ध ठेकेदार समूह के ठिकानों से छापे के दौरान आयकर विभाग ने करीब 5 करोड़ रुपए मूल्य के आभूषण और नकदी जब्त कर लिए हैं। विभिन्न बैंकों में मिले 3 दर्जन लॉकर्स में नकदी और बेशकीमती जेवर होने की संभावना है। छापे की कार्रवाई तीसरे दिन भी जारी रही।

गणेश चतुर्थी के बावजूद आयकर विभाग के अफसर दस ठिकानों पर रात तक छानबीन में जुटे थे। छापे की चपेट में आए पॉथ एवं बीआरजी ग्रुप सहित संबद्ध ठिकानों पर छानबीन के दौरान विभाग को बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हुए हैं।

जिन डायरियों और दस्तावेजों में करोड़ों रुपए का हिसाब-किताब दर्ज है उनके बारे में पूछताछ चल रही है। शुक्रवार रात तक दोनों ग्रुप से जुड़े 10 ठिकानों पर जांच चलती रही, यहां शनिवार तक छानबीन पूरी होने की संभावना है। सात परिसरों में सर्वे की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। अग्रवाल और गोयल परिवार से जुड़े घर व दफ्तरों से बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हुए हैं।

बेशकीमती आभूषण जब्त

जांच के दौरान मिली बेहिसाबी नकदी और बेशकीमती हीरा-जवाहरात के जेवरों का विभाग ने मूल्यांकन करा लिया है। समुचित हिसाब न दे पाने के कारण विभाग ने करीब 5 करोड़ रुपए मूल्य के जेवर व नकदी जब्त कर लिए हैं। इस संपत्ति के बारे में वह ठोस हिसाब नहीं दे पाए। आयकर अफसर अब अग्रवाल एवं गोयल परिवार के संचालकों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज कर रहे हैं। 3 दर्जन बैंक लॉकरों में भी नकदी और जेवर मिलने की संभावना जताई गई है।

कालेधन के निवेश की तलाश

आयकर विभाग के अफसर अब बरामद दस्तावेजों में कालेधन के निवेश संबंधी सुराग ढूंढने में लगे हैं। लेपटॉप, कम्प्यूटर एवं डायरियों को बारीकी से देखा जा रहा है, उनमें लिखे हर कोडवर्ड को विशेषज्ञों की सहायता से 'डिकोड" कराने की कार्रवाई चल रही है। दोनों समूहों से जुड़े अन्य लोगों के साथ हुए लेनदेन की सूची भी बनाई गई है।

Oriental college student ragging rod kicked in the head

राजधानी के ओरिएंटल इंजीनियरिंग कॉलेज में एक जूनियर छात्र को सीनियर छात्रों ने पहले तो जबरन सिगरेट पिलाई, फिर उसे पेंसिल शार्पनर की ब्लेड से गोद दिया। बाद में सीनियर्स ने जूनियर के सिर पर रॉड भी मारी। जूनियर छात्र ने मामले की शिकायत कॉलेज प्रबंधन से की है। पीड़ित छात्र का कहना है कि उसे कॉलेज आते हुए दो ही दिन हुए हैं, इसलिए वह किसी भी छात्र को नहीं पहचानता है।

भिंड निवासी रोहित शर्मा ने इस साल ओरिएंटल कॉलेज में ऑटोमोबाइल ब्रांच के फर्स्ट सेमेस्टर में एडमिशन लिया है। रोहित के मुताबिक उसने 25 अगस्त से कॉलेज आना शुरू किया था। 27 अगस्त को वह लंच टाइम में कॉलेज की कैंटीन में गया था। इसी दौरान दो छात्र उसे सेकंड फ्लोर पर स्थित एक कमरे में लेकर गए। उस कमरे में करीब दो दर्जन सीनियर छात्र पहले से मौजूद थे। सीनियर छात्रों ने राहुल से पहले तो उसका नाम पूछा। फिर गाना सुनाने को कहा।

गाना सुनने के बाद सीनियर छात्रों ने रोहित को सिगरेट पीने के लिए दी। रोहित के मुताबिक उसके मना करने के बाद भी सीनियर छात्रों ने उसे जबरन सिगरेट पिलाई। इसके बाद सीनियर छात्र उससे स्र्पए की मांग करने लगे। साथ ही उसकी तलाशी भी ली, लेकिन जब पर्स उसके पास नहीं मिला तो उसे मारना शुरू कर दिया। फिर एक सीनियर छात्र ने उसे शार्पनर की ब्लेड से हाथ पर गोदना शुरू कर दिया।

इसी दौरान एक अन्य छात्र ने छोटी रॉड निकालकर उसके सिर पर दो वार किए। इससे उसके सिर पर चोट भी आई है। रोहित के मुताबिक 27 अगस्त की रात को ही वह ग्वालियर अपने पिता दशरथ शर्मा के पास पहुंचा। गुस्र्वार को पिता पुत्र ग्वालियर के थाटीपुर थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे। वहां के थाना प्रभारी ने ओरिएंटल कॉलेज प्रबंधन को मामले की सूचना दी और पिता-पुत्र को भोपाल में मामला दर्ज कराने की सलाह दी। इस पर दोनों शुक्रवार को भोपाल पहुंचे।

घटना से पहले भी की थी शिकायत

रोहित के मुताबिक उसके साथ 26 अगस्त को भी परिचय के नाम पर कुछ सीनियर छात्रों ने अभद्र व्यवहार किया था। उसने इसकी शिकायत एक महिला प्रोफेसर को भी की थी। लेकिन महिला प्रोफेसर ने इसे सामान्य बताते हुए रोहित को ही परिचय देने के लिए तैयार रहने को कहा था।

नहीं पहचान पा रहा छात्र

कॉलेज प्रबंधन की ओर से छात्र को आरजपीवी के डाटा बेस से संदिग्ध छात्रों के फोटो दिखाए गए हैं। लेकिन पीड़ित छात्र आरोपियों को नहीं पहचान पा रहा है। दोषी छात्रों के नाम सामने आने पर कॉलेज प्रबंधन कड़ी कार्रवाई करेगा।

- प्रवीण ठकराल, चेयरमैन ओरिएंटल कॉलेज

Kanker news

अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार द्वारा शुक्रवार को नाम वापस लेने से अंचल के कांग्रेसियों का गुस्सा भड़क गया। उन्होंने क्षेत्र में मंतूराम के लगे पोस्टरों को फाड़कर आग के हवाले कर दिया। वहीं मंतूराम के गृहग्राम में उनके निवास पर सुरक्षा को लेकर पुलिस तैनात कर दी गई है। इस दौरान कांग्रेसी उनके खिलाफ नारेबाजी करते रहे। वहीं दूसरी ओर पखांजूर, बांदे, परलकोट क्षेत्र में भाजपाइयों द्वारा इस खबर के मिलते ही खूब आतिशबाजी कर खुशियां मनाई जाती रही।

कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार के नाम वापस लेने के समाचार को सुन ब्लाक कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ताओं ने कार्यालय का शटर गिराकर वीर नारायण सिंह चौक के समक्ष मंतूराम के बैनर पोस्टर को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने मंतूराम के इस कृत्य की घोर निंदा की। यही नहीं कार्यकर्ताओं को जब ये पता चला कि मंतूराम भाजपा में प्रवेश लेने की मूड में हैं, तो उनका गुस्सा आसमान पर जा पहुंचा। उन्होंने मंतूराम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेसियों ने आरोप लगाया कि मंतूराम को भाजपाइयों ने खरीद लिया था। बावजूद इसके उन्होंने चुनाव लड़ने का ढोंग कर कांकेर की तरफ से नामांकन दाखिल किया। मंतूराम के खिलाफ नाराजगी न केवल अंतागढ़ के कांगे्रस कार्यकर्ताओं में है बल्कि कोयलीबेड़ा आमाबेड़ा, ताड़ोकी एवं कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले अंतागढ़ विधानसभा के कोलर व पोड़गांव क्षेत्र में भी बखूबी देखा जा रहा है।

भाजपाई जश्न में डूबे

वहीं दूसरी ओर क्षेत्र के भाजपाई अब अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। वे भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग के साथ नयापारा के भाजपा कार्यालय में जीत का अभी से जश्न मना रहे हैं। इधर जो कांग्रेस के समर्थक हैं वो असमंजस की स्थिति में हैं कि आखिर इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रभावशाली नेता मंतूराम पवार इस तरह का कदम उठाने क्यों मजबूर हुए।

Swami saraswati swarupanand says aim is not to break statue

हिंदू मंदिरों में स्थापित साईं की मूर्तियां तोड़ना हमारा उद्देश्य नहीं है। साईं के नाम पर फैलाए जा रहे अंधविश्वास और व्यापार को रोकना चाहिए। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री का बयान अफवाहों पर आधारित है, उन्हें तत्काल धर्मसंसद से माफी मांगनी चाहिए। नईदुनिया से खास मुलाकात में ज्योतिष व द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं विवाद पर खुलकर अपना पक्ष रखा। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

-कवर्धा में आयोजित धर्मसंसद में साईं भक्त ने अपनी बात रखी तो उससे मारपीट क्यों की गई।

किसी से कोई मारपीट नहीं की गई। साईं भक्त को साईं भगवान हैं या नहीं इस मुद्दे पर बात रखने की अनुमति मिली थी, लेकिन वे मुद्दे से भटककर गोहत्या के मामले में संत समाज को चुनौती देने लगे। संतों ने उनकी चुनौती स्वीकार भी की। देश में मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार है। हमें भरोसा है कि गोहत्या रोकने सरकार कड़े कदम उठाएगी, इसके लिए आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

-तो क्या धर्म के मामले में लोगों की आस्था पर आप अपनी इच्छा थोपेंगे।

ऐसा नहीं है। शंकराचार्य होने के नाते वेदशास्त्रों की सही बातों को लोगों तक पहुंचाना मेरा धर्म और कर्म दोनों है। दुनिया का ठेकेदार तो ईश्वर है। मैं ईश्वर का पता जानता हूं। ईश्वर ही कर्मों के अनुसार फल दते हैं, दूसरा कोई इतना सक्षम नहीं कि कर्मों का फल दे सके।

-धर्म आखिर है क्या।

धर्म एक परोक्ष विषय है जिसे प्रत्यक्ष रूप में नहीं समझा जा सकता। शास्त्रों से ही पता चल सकता है कि पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक क्या हैं। सामान्य व्यक्ति न तो वेद पढ़कर समझ सकते हैं न उसकी व्याख्या कर सकते हैं। उसके लिए आचार्य होना जरूरी है।

-आस्था व भक्ति क्या है।

आस्था व भक्ति अजर-अमर हैं। पार्थिव शरीर की आस्था नहीं की जाती। जीवित व्यक्ति का चरित्र देखा जा सकता है। जबकि मृतक की वाणी व चरित्र दोनों देखी जाती है तब आस्था व भक्ति उमड़ती है।

-धर्मसंसद में ऐसे निर्णय क्यों लिए गए जिन्हें असंसदीय कहा जा रहा है।

धर्मसंसद में कुल 6 प्रस्ताव पारित किए गए व यहां ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ जो संविधान के विरूद्घ हो। कुछ लोग धर्म संसद के मामले में अफवाह फैला रहे हैं। राज्य के गृहमंत्री का बयान भी अफवाहों पर आधारित है। वह अपना बयान वापस लें व धर्मसंसद से माफी मांगें।

-सनातन धर्म को मानने वालों के लिए धर्मसंसद के निर्णयों का क्या महत्व है।

धर्मसंसद में साधु-संतों तथा चारों पीठों के शंकराचार्यों की उपस्थिति में निर्णय लिए गए हैं। ये सनातन धर्मियों के लिए अंतिम निर्णय हैं। इसमें किंतु-परंतु का स्थान नहीं है। प्रजातंत्र में प्रजा ही राजा है। साधु संत धर्म का उपदेश दे चुके हैं। अब जनता को उसका पालन करना है।

-जन्मभूमि पर राम मंदिर नहीं बना तो क्या होगा।

भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर राम मंदिर बनकर रहेगा। परमात्मा के रूप में भगवान राम सनातन धर्मियों के आस्था के प्रतीक हैं।

-कुछ राजनेता आपका विरोध करते हैं। क्यों।

नेता धर्म और आचार्यों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। लेकिन हम धर्म पर चलते हैं और किसी को अपना इस्तेमाल करने नहीं देते। इसीलिए विरोध होता है।

-साईं भक्त भी सम्मेलन करने वाले हैं, आप क्या कहेंगे।

धर्मससंद में साईं ट्रस्ट को आमंत्रित किया गया था। वे नहीं आए। ट्रस्ट के लोग स्पष्ट करें क्यों नहीं आए। साईं सम्मेलन में इतना विलंब क्यों कर रहे हैं।

New international hockey stadium international hockey stadium inaugurated at raipur

खेल के क्षेत्र में लगातार उपलब्धियों को छू रहे छत्तीसगढ़ के नाम शुक्रवार को एक और उपलब्धि जुड़ गई। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के बाद अब रायपुर को हॉकी का अंतरराष्ट्रीय ग्राउंड भी मिल गया। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन पर ब्लू टर्फ वाले इस ग्राउंड का लोकार्पण हुआ। यह छत्तीसगढ़ का दूसरा अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम है।

लोकार्पण समारोह के मौके पर इंडिया ए और इंडिया बी टीम के बीच एक प्रदर्शनी मैच खेला गया। ज्यादातर सीनियर खिलाड़ियों से भरी सरदार की कप्तानी वाली इंडिया ए ने इंडिया बी को 4-1 से हराया। लेकिन जूनियर खिलाड़ियों से सजी टीम इंडिया बी ने भी अपने खेल से प्रभावित किया। मैच में ग्लास्गो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीतने वाली टीम के 13 खिलाड़ी भी मौजूद थे।

मैच देखने के लिए बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे पहुंचे थे। शहर के लोगों के साथ जनप्रतिनिधियों ने भी इस मैच का लुत्फ उठाया। हॉकी स्टेडियम के लोकार्पण कार्यक्रम में मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद भी शामिल हुए। यहां उनका सम्मान किया गया। अशोक ने 40 साल पहले नेताजी सुभाष स्टेडियम में पोलैंड के साथ हुए एक मैत्री मैच में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था।

इस मौके पर राज्य की 13 हॉकी की हस्तियों का भी सम्मान किया गया। इसमें अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ वरिष्ठ खिलाड़ी शामिल हैं। इनके अलावा हॉकी इंडिया के एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर आरके श्रीवास्तव, रोलेंट वाल्टर ऑल्टमन, टीम इंडिया के कोच टेरेंस आर्थर वाल्स, पूर्व ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट और टीम इंडिया के सहायक कोच एमके कौशिक, सहायक कोच जूड फिलिप्स सेबेस्टियन, तुषार खाण्डेकर व महेश कुमार को भी सम्मानित किया गया।

निकिन थिमैया ने लगाया पहला गोल

अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में पहला गोल करने का कारनामा इंडिया ए के फॉरवर्ड खिलाड़ी निकिन थिमैया ने किया। पहले क्वॉर्टर में कोई गोल नहीं होने के बाद दूसरे क्वॉर्टर के शुरुआती मिनट में ही 32 नंबर की जर्सी पहने निकिन थिमैया ने बेहतरीन गोल किया। इस शॉट के बाद नितिन ने लगातर अटैक किया, लेकिन बाद के अटैक को गोल में तब्दील करने में सफल नहीं हो सके। पूरा मैच एक घंटे का 4 क्वॉर्टर टाइम में खेल गया। टीम ए की तरफ से निकिन के अलावा धर्मवीर ने 2 और चिंग्लेसना ने एक गोल किया। टीम बी की तरफ से एक मात्र गोल मनदीप सिंह ने किया।

Cricket stadium on the grave tattered nursery of hockey

शहर के खेल मैदानों के साथ राज्य बनने के बाद पिछले 14 सालों में जबदस्त खेल हुआ है। पुराने खिलाड़ियों के मुताबिक अब तक शहर के 20 से अधिक खेल मैदान खत्म हो गए हैं। जो बचे हैं, वे बड़े आयोजनों या प्रदर्शनी, मेलों की भेंट चढ़ गए हैं। खिलाड़ियों और कोच का कहना है कि प्रदेश का खेल विभाग केवल बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने में लगा हुआ है।

पिछले 14 सालों में खिलाड़ियों के प्रैक्टिस के लिए एक भी मैदान डिवेलप नहीं किया गया । साइंस कॉलेज की जमीन अधिगृहीत कर खेल विभाग ने क्रिकेट के खेल मैदान को खत्म कर हॉकी स्टेडियम बना दिया है। वहीं सुभाष स्टेडियम, जो पिछले 50 सालों से हॉकी की नर्सरी के रूप में विख्यात है, पिछले 10 सालों से बदहाल है। उसे सुधारने के लिए योजना तो है, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाया है।

क्रिकेट का प्रमुख मैदान था

साइंस कॉलेज के क्रि केट मैदान को मिनी स्टेडियम की तरह डिवेलप किया गया था। राज्य बनने से पहले यह न केवल प्रतियोगिता आयोजन का प्रमुख स्थल था बल्कि शहर के कई कॉलेजों के छात्र यहां आकर अभ्यास करते थे। प्रदेश स्तर की इंटर स्कूल और कॉलेज प्रतियोगिताएं होती थीं। राज्य बनने के बाद लगातार यहां राज्योत्सव, व्यापार मेला, सामूहिक विवाह जैसे आयोजन होते रहे।

यहां डिवेलप की गई क्रि केट की पिच खोद डाली गई। क्रिकेट प्रेमियों ने कई बार इसे अपने खर्च पर सुधरवाया, लेकिन बार-बार के आयोजनों के चलते लोगों ने इस मैदान में खेलना बंद कर दिया। नईदुनिया टीम ने शुक्रवार को जायजा लिया। हॉकी स्टेडियम बनाने के लिए इस मैदान का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल किया गया है। पैवेलियन और दर्शक दीर्घा खत्म हो चुका है। बचा हुआ मैदान का हिस्सा खुदा है और खेलने योग्य नहीं रह गया है। बताते हैं कि यहां अब एथलेटिक्स ट्रैक बनाने की तैयारी है।

सुभाष स्टेडियम बर्बाद

राज्य बनने के पहले हॉकी नर्सरी के नाम से विख्यात नेताजी सुभाष स्टेडियम अपने हाल पर आंसू बहा रहा है। जिस स्टेडियम में खेल कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा हुए, वहां 2003 के बाद से अब कोई खेल नहीं हो पा रहा है। वजह है मैदान का ठीक तरह से मेंटिनन्स नहीं हो पाना। राज्य बनने के बाद से यह स्टेडियम नगर निगम को दिया गया। निगम ने इसे नए सिरे से डिवेलप करने का प्लान तो बनाया, लेकिन उसे अमल में नहीं ला पाया।

मैदान उखड़ जाने के बाद धीरे-धीरे खिलाड़ियों ने वहां जाना बंद कर दिया। नईदुनिया टीम ने स्टेडियम का जायजा लिया तो पाया कि मैदान बुरी तरह खराब है, उबड़ खाबड़ है। स्टेडियम की दीवारें भी जर्जर हो चुकी हैं। पानी निकालने की व्यवस्था खराब होने से मैदान में कई जगह कीचड़ नजर आया। खेल से जुड़े जानकारों का कहना है कि खेल विभाग चाहता तो कम खर्चे में इस स्टेडियम को डिवेलप कर उसकी पुरानी प्रतिष्ठा लौटा सकता था।

खेल के लिए नहीं बचे मैदान

शहर में क्रिकेट, हॉकी और फुटबॉल जैसे खेल के अभ्यास के लिए मैदान नहीं बचे हैं। जेएन पांडेय स्कूल का मैदान खत्म हो चुका है। सप्रे स्कूल में सड़क चौड़ा कर आधा ग्राउंड खत्म कर दिया गया है। यहां फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस जैसे गेम के लिए अलग व्यवस्था तो की गई, लेकिन क्रिकेट यहां से पूूरी तरह खत्म हो गया। पुराने खिलाड़ी बताते हैं कि कभी इन खेलों के अलावा यहां दिनभर कम से कम चार टीमें एक साथ क्रिकेट खेला करती थीं। आउटडोर स्टेडियम में चारों ओर एथलेटिक्स ट्रैक बनाकर बीच में पिच जरूर बनाई गई है, लेकिन एक समय में केवल एक मैच हो सकता है। गॉस मेमोरियल ग्राउंड भी मेला और विविध आयोजनों की भेंट चढ़ चुका है।

खेल विभाग को खेल से परहेज

प्रदेश का खेल विभाग जिसे प्रदेश में खिलाड़ियों को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है, अपना काम छोड़कर इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप कराने में लग गया है। विभाग के संचालक अशोक जुनेजा से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही मैसेज का जवाब दिया। विभाग के दूसरे अफसरों से इस संबंध में चर्चा करने का प्रयास किया गया तो नाम न छापने की शर्त उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया को एंटरटेन नहीं करने की सख्त हिदायत है।

- शहर में खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए मैदान नहीं रह गए हैं। साइंस कॉलेज ग्राउंड में अच्छी क्रिकेट पिच थी। सप्रे स्कूल, जेएन पांडेय स्कूल, टाटीबंध में एम्स की जगह, पीएचक्यू की जगह पर क्रिकेट और फुटबॉल खेले जाते थे। अब यहां कोई खेल नहीं हो रहा। सुभाष स्टेडियम में खेलकर बैरनबाजार, बैजनाथपारा, छोटापारा से कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकले, लेकिन अब तो यह नर्सरी भी उजड़ गई है।

मुस्ताक अली प्रधान, फुटबॉल एवं हॉकी कोच

- प्रदेश के खेल विभाग और उनसे जुड़े एसोसिएशनों में खेल को लेकर सोच की कमी दिखती है। जहां क्रिकेट होता था, वहां हॉकी स्टेडियम बना दिया। जहां हॉकी होती थी, उसे उजड़ने दिया, मैदानों को सड़कों और भवनों की भेंट चढ़ने दिया गया, लेकिन कोई उफ नहीं कर रहा। अब पूरा ध्यान बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर है, खिलाड़ियों के लिए मैदान डिवेलप करने पर नहीं। खेल के मैदान ही नहीं होंगे तो इन स्टेडियमों में कौन मैच खेलने जाएगा।

नौमान अकरम, पूर्व अंपायर एवं खिलाड़ी

- प्रदेश में खेलने वालों की कमी नहीं है और न ही सिखाने वाले अच्छे कोच की। कमी है तो खेल के लिए प्रैक्टिस मैदान की। क्रिकेट के लिए मैदान नहीं रह गया है। हॉकी की केवल बड़ी प्रतियोगिता हो सकती है, छोटे आयोजन के लिए मैदान नहीं रह गए हैं। राज्य शासन और खेल विभाग को खेल मैदानों को डिवेलप करने पर विचार करना चाहिए।

विनोद यादव, क्रिकेट कोच

Antagarh by elections pawar after withdrawal expelled from congress

अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार ने अप्रत्याशित रूप से अपना नाम वापस ले लिया। इसके तत्काल बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे भाजपा को वाकओवर मिल गया है। मंतूराम के इस कदम को लेकर कांग्रेस के भीतर ही तरह-तरह की चर्चा चल रही है।

अंतागढ़ में 13 सितंबर को मतदान होगा और 16 सितंबर को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा। उधर मंतूराम ने भाजपा नेताओं से संपर्क साधा है। इससे उनका भाजपा प्रवेश होने की चर्चा भी है। श्री पवार की नाम वापसी की पुष्टि कलेक्टर अलरमेल मंगई डी ने की है। सूत्र बताते हैं कि श्री पवार पिछले कुछ दिनों से कुछ मध्यस्थों के जरिए भाजपा के कुछ प्रभावशाली लोगों के संपर्क में थे ।

बताया जा रहा कि मंतूराम पवार गुरुवार की रात तक शुक्रवार को होने वाली बैठक में शामिल होने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन अगले ही दिन उन्होंने अचानक नाम वापस ले लिया। यह मामला अब पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया है और पार्टी जल्द ही पूरे मामले को लेकर कोई बड़ी

कार्रवाई कर सकती है।

अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने श्री पवार से लंबी चर्चा की थी । पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से भी चर्चा की गई थी। उसके बाद ही श्री पवार को विश्वास में लेकर उनका नाम पार्टी हाईकमान को भेजा था। इसके बाद

हाईकमान ने श्री पवार को प्रत्याशी घोषित किया ।

इस पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा था कि जब श्री पवार तीन बार चुनाव हार चुके हैं, ऐसे

में उन्हें प्रत्याशी बनाया जाना ठीक नहीं है। हालांकि प्रत्याशी घोषित होने के बाद श्री पवार ने भी भाजपा के खिलाफ पूरे दमखम से चुनाव लड़ने का

दावा किया था। इस मामले में प्रदेश महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि सारी गुटबाजी को दरकिनार कर, कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर मंतूराम पवार को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था।

उनका मैदान छोड़ना लोकतंत्र की हत्या है। पूरे देश के चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आ रहे थे और यही वजह है कि भाजपा जनता की अदालत में जाने से डर गई।

कांकेर पहुंचे भूपेश

मंतूराम पवार की नाम वापसी की सूचना मिलने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल कांकेर पहुंच गए हैं। श्री बघेल पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर इस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। वहीं किसी निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन करने के मुद्दे पर भी सभी से राय लेंगे।

अमीन ने की थी मुलाकात

सूत्र बताते हैं कि कांकेर के युवक कांग्रेस नेता एवं जोगी के कट्टर समर्थक अमीन मेमन ने मंतूराम पवार से सुबह 9 बजे अकेले मुलाकात की थी। इस संबंध में अमीन मेमन ने 'नईदुनिया" से कहा कि उन्होंने चुनाव सामग्री तैयार करने को लेकर चर्चा की थी और सामग्री के लिए 50 हजार रुपए लिए थे।

इस राशि से उन्होंने केशकाल में चुनाव सामग्री बनाने का आर्डर दिया है। उन्होंने कहा कि श्री पवार उसके बाद वहां से चले गए। उनका कहना है कि श्री पवार कहां हैं और उन्होंने नामांकन वापस क्यों लिया, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

लंबी चर्चा के बाद प्रत्याशी तय किया गया था। मंतूराम पवार के इस फैसले से काफी दुख हुआ है। किसे समर्थन देना है, इस पर पार्टी चर्चा करेगी। - टीएस सिंहदेव, नेता प्रतिपक्ष, छत्तीसगढ़