Wednesday, 11 June 2014

Store room of house according to vastu

भवन निर्माण में भंडार गृह या भंडारण कक्ष (स्टोर रूम) मुख्य योजना का एक अहम हिस्सा रहता है। भंडार गृह बनाने के पीछे दो प्रमुख उद्देश्य हैं कि वर्षभर के लिए अन्न का भंडारण किया जा सके और जरूरी वस्तुओं का संचय भी हो सके।

यदि आपके पास पर्याप्त जगह है तो अन्न के भंडारण और अन्य वस्तुओं के संचय के लिए अलग-अलग कक्ष बनाए जाने चाहिए लेकिन अगर जगह का अभाव है तो एक ही कक्ष से दोनों उपयोग लिए जा सकते हैं। यहां भंडार गृह संबंधी प्रमुख वास्तु सुझाव दिए जा रहे हैं जो पारिवारिक समृद्धता को संभव बनाते हैं।

भंडार गृह में न रखें अनुपयोगी चीजें

    अन्नादि के भंडार कक्ष का द्वार नैर्ऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में होना चाहिए।

    अगर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में अन्ना कक्ष या अन्न भंडार गृह बनाया जाता है तो अन्न की कभी कमी नहीं होती है। घर में धन-धान्य बना रहता है।

    अन्न का वार्षिक संग्रहण दक्षिणी अथवा पश्चिमी दीवार के समीप किया जाना चाहिए।

    अन्न कक्ष या अन्ना भंडार गृह में डिब्बे या कनस्तर को खाली नहीं रहने दें। अगर कोई डिब्बा पूरी तरह खाली हो रहा हो तो भी उसमें कुछ मात्रा में अन्न बचा देना चाहिए। यह समृद्धि के लिए जरूरी माना जाता है।

    अन्न भंडार कक्ष में घी, तेल, मिट्टी का तेल एवं गैस सिलेन्डर आदि को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखना चाहिए।

    अन्न के भंडार कक्ष में ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में शुद्ध और पवित्र जल से भरा हुआ मिट्टी का एक पात्र रखा जाना चाहिए। इस बात का खयाल रखें कि यह पात्र खाली न हो।

    अन्न कक्ष में अगर विष्णु और लक्ष्मी का चित्र या प्रतिमा हो तो उससे समृद्धि प्राप्त होती है।

    रोज उपयोग में आने वाले खाद्यान्न को कक्ष के उत्तर-पश्चिमी भाग में रखा जाना चाहिए।

    पूर्व दिशा में अगर भंडार गृह हो तो घर के मुखिया को अपनी आजीविका के लिए ज्यादा यात्रा करनी पड़ती है। वह अक्सर घर से बाहर ही रहता है।

    आग्नेय कोण में अगर भंडार कक्ष का निर्माण किया जाए तो मुखिया की आमदनी हमेशा कम ही पड़ती है।

    दक्षिण दिशा में भंडार कक्ष बनाने पर घर के सदस्यों के बीच आपसी मतभेद हो सकते हैं। इस तरह के भंडार कक्ष से घर में अशांति बनी रहती है।

    संयुक्त भंडार कक्ष भवन के पश्चिमी अथवा उत्तर-पश्चिमी भाग में बनाया जाना चाहिए।

    संयुक्त भंडार गृह में अन्ना वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में रखा जाना चाहिए।

    अगर संयुक्त रूप से भंडार कक्ष का उपयोग किया जाता है तो उसमें ऐसी चीजें नहीं रखना चाहिए जो हमारे लिए पूरी तरह अनुपयोगी हैं।

    संयुक्त भंडार गृह में अन्य चीजों का भंडारण दक्षिणी और पश्चिमी दीवार की ओर किया जाना चाहिए।

    संयुक्त भंडारगृह के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में जल का पात्र रखना शुभकर रहता है और परिवार में शांति और समृद्धि में वृद्धि करता है।

No comments:

Post a Comment